क्या मोटापे को बीमारी कहा जाना चाहिए?
क्या आप मोटापे के चक्र में खुद को फंसा हुआ पाते हैं?
क्या मोटापा आपके स्वास्थ्य और दिमाग को प्रभावित करता है?
क्या आपकी अन्य बीमारियों की असली वजह मोटापा है?
यदि उपरोक्त सभी प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ है, तो मोटापे को न केवल एक बीमारी के रूप में माना जा सकता है, बल्कि यह एक महामारी भी हो सकती है। एक ऐसी महामारी, जो भारतीयों के जीवन पर भारी पड़ गई है और दूर नहीं हो पा रही है।
अगर मोटापे का आंकलन बीमारी में किया जाये तो इसे बीमा के तहत कवर किया जा सकता है। चूंकि यह सिर्फ़ एक आम समस्या नहीं है। मोटापा टाइप-2 डायबिटीज़, कैंसर, हृदय की समस्याओं, स्लीप एपनिया, उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय रोगों जैसी घातक बीमारियों को जन्म देता है।
हालाँकि, कुछ लोग मोटापे को बीमारी कहने के बजाय एक आम समस्या समझते हैं। इस विचार के पीछे कारण यह है कि अगर इसे एक बीमारी कहा जाता है, तो रोगियों के पास एकमात्र विकल्प इलाज़ ही होगा। इसके लिए उनके पास एकमात्र समाधान सर्जरी ही है।
मरियम वेबस्टर के अनुसार, बीमारी वह है जो “कोई भी ऐसी स्थिति जो सामान्य कामकाज को प्रभावित और आमतौर पर संकेतों और लक्षणों को भेद कर प्रकट होती है।”
मोटापा एक बीमारी है या विकार?
मोटापा एक पुरानी बीमारी है, जो अन्य कई बीमारियों जैसे हृदय रोग, हाइपरटेंशन, टाइप- 2 डायबिटीज़, स्लीप एपनिया, कैंसर आदि से संबंधित है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, पुरानी बीमारी जिसे एक या अधिक वर्ष का समय हो गया हो, मेडिकल अटेन्शन की जरूरत हो और रोजमर्रा के कार्यों को सीमित करना पड़े तो उसे किसी भी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
‘मोटापे को एक बीमारी माना जाना चाहिए या नहीं?’, यह वर्षों से चली आ रही एक बहस का विषय है। वैसे तो इसका कोई विशेष निष्कर्ष नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से एक उपाय जरूर है- बैरियाट्रिक सर्जरी। यह सर्जरी मोटापे से छुटकारा पाने और एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत करने का सबसे कारगर और आसान तरीका है।